माफ़ी की रेत
दो दोस्त एक रेगिस्तान से गुजर रहे थे।
बीच रास्ते में किसी बात पर उनमे कहासुनी हो गयी। एक दोस्त ने दूसरे दोस्त को थप्पड़ मार दिया।
जिस दोस्त को थप्पड़ मारा, उस दोस्त के दिल पर चोट लग गयी। लेकिन उसने कुछ नहीं कहा, उसने रेत पर लिखा, “आज मेरे दोस्त ने मेरे को थप्पड़ मारा।”
दोनों रेगिस्तान में चलते रहे, आगे उनको एक छोटा सा तालाब देखा।
दोनों वहा पर नहाने लगे। इतने में जिस दोस्त को थप्पड़ मारा था वो तालाब में पैर फिसलने के कारण डूबने लगा।
दूसरे दोस्त ने उसको बचा लिया। डूबने से बचने के बाद थोड़ा ठीक होने के पर, उसने पत्थर पर लिखा, “आज मेरे दोस्त ने मेरी जान बचायी।”
अब जिस दोस्त ने थप्पड़ मारा उसने दूसरे दोस्त से पूछा, “दोस्त मैंने जब तुम्हारा दिल दुखाया तब तुमने रेत पर लिखा और अभी तुमने पत्थर पर लिखा। ऐसा क्यों?”
दूसरे दोस्त ने जवाब दिया, “जब हमारा कोई दिल दुखाता हैं तो हमे रेत पर लिख देना चाहिए। ताकि माफ़ी की हवाएं इसे मिटा सके। लेकिन जब भी कोई हमारे लिए अच्छा करता हैं तो हमे इसे पत्थर पर लिखना चाहिए जहां से कोई भी हवा इसे मिटा नहीं सके।