तुम्हारी यादें




“तुम्हारी यादें” हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध कविता “मधुशाला” से है और यह उनके कविता संग्रह “मधुशाला” में शामिल है।
यह कविता उनकी मशहूरता को और भी बढ़ा देने वाली है।

  • तुम्हारी यादें आईं आँखों में ख्वाब बुनने,
    बाग़ में कोई फूल खिला तो बहार आई।
  • तुम्हारी यादें आईं फिर ज़ुल्फ़ों में हवाएँ गुनगुनाने,
    तुम्हारे सितारों का आँगन खिल उठा।
  • तुम्हारी यादें आईं आँखों में जाग उठी बरसातों की रातों में,
    छाई है सदा सुरुरात तुम्हारी तस्वीर।
  • तुम्हारी यादें आईं खुदा की बिनती बरसात में,
    तुम्हारी दीदार के लिए मेरा दिल तड़प उठा।
  • तुम्हारी यादें आईं रात की अँधेरी गलियों में,
    चाँदनी की बोँदों में तुम्हारा चेहरा बना।
  • तुम्हारी यादें आईं धडकनों में गीतों की तरह,
    साँसों में ख़ुशबू की तरह बिखर गई।
यह कविता प्यार और यादें के सुंदर अनुभव को व्यक्त करती है और उस व्यक्तिगत रिश्ते की माधुर्यपूर्ण छवि को आकर्षित करती है जिसे हम किसी ख़ास के साथ महसूस करते हैं।
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