संसार की रीत – एक चित्रकार की कहानी




एक बार की बात हैं एक शहर में एक बहुत ही मशहूर चित्रकार रहता था।

 

एक दिन उस चित्रकार ने एक बहुत खूबसूरत तस्वीर बनाई और उसे शहर के बीच चौराहे पर लगा दिया और नीचे लिखा कि जिसको जहाँ भी इस तस्वीर में कोई कमी नजर आये तो वो वहाँ निशान लगा दे।

 

जब शाम को चित्रकार वापस वहां गया और तस्वीर देखी। वो स्तब्ध रह गया क्योंकि उसकी पूरी तस्वीर निशानों से ख़राब हो चुकी थी।

 

उसे यह सब देखकर बहुत दुख हुआ।

 

उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करे। वह दुःखी बैठा हुआ था।

 

तभी चित्रकार का एक दोस्त वहाँ से गुजरा।

 

उसके दोस्त ने पूछा,”दोस्त क्या हुआ, इतना दुखी क्यो बैठे हो।”

 

तब चित्रकार ने सारी घटना दोस्त को बता दी।

 

तब दोस्त ने कहा,”एक काम करो कल एक ओर तस्वीर बनाना और उस पर लिखना कि जिसको भी इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी दिखे, उसे सही कर दे।”

 

अगले दिन चित्रकार ने ऐसा ही किया।

 

उस शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा कि तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया, तस्वीर वेसी की वेसी थी।

 

अब चित्रकार संसार की रीति समझ चुका था। वह जान गया कि “कमी निकालना, निंदा करना, दुसरो की बुराई करना आसान हैं लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यधिक कठिन होता हैं।”

 

दोस्तो हमे अपनी एनर्जी को दूसरों की बुराई करने में या उनमे कमिया निकलने में बर्बाद नही करना चाहिए। अपनी एनर्जी को रचनात्मक कार्यो में लगाये।

 

अगर कमिया निकालनी ही है तो अपनी कमिया निकालो ओर उन्हें दूर करने का प्रयास करो।

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