Shayari:
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं तू मेरा शौक़ देख मेरा इंतिज़ार देख !
Ram
सिखा देती हैं चलना ठोकरें भी राहगीरों कोकोई रस्ता सदा दुश्वार हो ऐसा नहीं होता !
-निदा फ़ाज़लीRam
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा |
-निदा फ़ाज़लीRam
गलतियों से जुदा तुम भी नहीं मैं भी नहीं, हम दोनों इंसान है खुदा तू भी नहीं मैं भी नही। तू मुझे मैं तुझे इल्जाम तो देते है मगर अपने अंदर झांकता तू भी नहीं मैं भी नहीं। 🙏🏻
Ram
होते रहेंगे तमाशे ताउम्र,तुम अपने किरदार का ख्याल रखना।
Ram
ऐ मेरे हौसले तू यूँ ना हार मान,जिंदगी में अभी कई फर्ज निभाने बाकी हैं।
Ram
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी,जिस को भी देखना हो कई बार देखना
-निदा फ़ाज़लीRam
वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन , उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा | साहिर लुधियानवी
Ram
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर , लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
Ram
मंज़िले मिले, ये तो मुकद्दर की बात है , हम कोशिश ही न करे, ये तो गलत बात है।
Krishna