तुम्हारी यादें




तुम्हारी यादें आईं आँखों में ख्वाब बुनने, बाग़ में कोई फूल खिला तो बहार आई।


तुम्हारी यादें आईं फिर ज़ुल्फ़ों में हवाएँ गुनगुनाने, तुम्हारे सितारों का आँगन खिल उठा।


तुम्हारी यादें आईं आँखों में जाग उठी बरसातों की रातों में, छाई है सदा सुरुरात तुम्हारी तस्वीर।


तुम्हारी यादें आईं खुदा की बिनती बरसात में, तुम्हारी दीदार के लिए मेरा दिल तड़प उठा।


तुम्हारी यादें आईं रात की अँधेरी गलियों में, चाँदनी की बोँदों में तुम्हारा चेहरा बना।


तुम्हारी यादें आईं धडकनों में गीतों की तरह, साँसों में ख़ुशबू की तरह बिखर गई।