गरीबी में प्यार.. प्रेरणादायक कहानी




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एक अमीर लड़का था, उसे एक गरीब किसान की लड़की से प्यार हो गया, लड़की सुंदर होने के साथ साथ काफी समझदार थी, एक दिन जब लड़के ने उस लड़की को बताया कि” वह उससे प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है” तो लड़की ने कुछ सोचने के बाद उस ने लड़के को शादी करने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह गरीब परिवार से रिश्ता रखती थी ।

 

लेकिन कुछ समय बाद जब ये बात उस लड़के को पता चली, तो उस ने लड़की के माता – पिता से बात की और उस लड़की को समझाया, काफी समझाने के बाद वह लड़की मान गयी और दोनों की शादी हो गयी, शादी के बाद लड़का उसे बहुत प्यार करता था, दोनों का दांपत्य जीवन काफी अच्छा चल रहा था ।

 

 

लेकिन कुछ महीनों बाद लड़की को चर्मरोग ( skin diseases ) हो गया, जिसके कारण उसकी खूबसूरती ढलने लगी, अब लड़की को यह डर भी सताने लगा कि उसकी खूबसूरती ढलने के कारण, कहीं उसका पति उसे छोड़ न दे, लड़की उस चर्म रोग को ठीक करने का हर संभव प्रयास कर रही थी ।

समय बीत रहा था और लड़की की खूबसूरती धीरे – धीरे ढल रही थी, एक दिन वह लड़का एक काम से दूसरे शहर गया, लड़का जब वहां से वापस आ रहा था तो उसका रास्ते में एक कार के साथ एक्सीडेंट हो गया, उस दुर्घटना के दौरान लड़के की आंखें की रोशनी चली गई ।

 

 

इस दुर्घटना के कुछ समय के बाद उनका जीवन, फिर से सामान्य और सुखी बीतने लगा, वह लड़की चर्मरोग की वजह से दिन प्रतिदिन कमजोर और बदसूरत होती गई . लेकिन पति अंधा होने के कारण उनका दांपत्य जीवन ठीक चलता रहा और दिखाई न देने के कारण वह लड़का उससे पहले की तरह प्यार करता रहा ।

 

 

कुछ सालो बाद बीमारी के कारण उस लड़की की मृत्यु हो गई, पत्नी की मृत्यु होने के बाद, वह लड़का अंदर से दुखी हो गया और वह शहर छोड़कर जाने वाला था, तभी उसके पड़ोसी ने उसे सांत्वना देते हुए कहा अब आप तो अपनी पत्नी के बिना अकेले पड़ जाएंगे, वह आपका काफी ख्याल रखती थी, अब आपका जीवन अंधकार में कैसे व्यतीत होगा ।

 

 

तब उस लड़के ने अपने पड़ोसी की ओर देखा और गहरी सांस लेते हुए कहा- मैं कभी अंधा था ही नहीं, लेकिन मैं यह सोचकर अंधे होने का नाटक करता रहा था कि कहीं मेरी पत्नी को उसकी बीमारी और बदसूरती के कारण यह ना लगे कि मैं उससे प्यार नहीं करता, इसीलिए मैं इतने सालों तक बिना कुछ कहे हुए अपनी पत्नी की खुशी के लिए अंधा बना रहा, यह बात सुनकर पड़ोसी की आंखों से आंसू छलक आए और वह लड़का वहां से उठकर चला गया ।

 

 

शिक्षा : – अगर आप जीवन भर खुश रहना चाहते हैं, तो आप लोगों की कमियों की तरफ ही नहीं उनकी खूबियों की तरफ भी गौर करिए, आपका जीवन आसान हो जाएगा ।

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जब लोग ताने मारने लगे तुमको आगे बढ़ने से रोकने लगे तो मेरे दोस्त तुम सही राह पर हो




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जब लोग ताने मारने लगे तुमको आगे
बढ़ने से रोकने लगे तो मेरे दोस्त तुम
सही राह पर हो|

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अपनी क्षमता पहचानो




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एक गाँव में एक आलसी आदमी रहता था. वह कुछ काम-धाम नहीं करता था. बस दिन भर निठल्ला बैठकर सोचता रहता था कि किसी तरह कुछ खाने को मिल जाये.

एक दिन वह यूं ही घूमते-घूमते आम के एक बाग़ में पहुँच गया. वहाँ रसीले आमों से लदे कई पेड़ थे. रसीले आम देख उसके मुँह में पानी आ गया और आम तोड़ने वह एक पेड़ पर चढ़ गया. लेकिन जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ा, बाग़ का मालिक वहाँ आ पहुँचा.

बाग़ के मालिक को देख आलसी आदमी डर गया और जैसे-तैसे पेड़ से उतरकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ. भागते-भागते वह गाँव में बाहर स्थित जंगल में जा पहुँचा. वह बुरी तरह से थक गया था. इसलिए एक पेड़ के नीचे बैठकर सुस्ताने लगा.

तभी उसकी नज़र एक लोमड़ी (Fox) पर पड़ी. उस लोमड़ी की एक टांग टूटी हुई थी और वह लंगड़ाकर चल रही थी. लोमड़ी को देख आलसी आदमी सोचने लगा कि ऐसी हालत में भी इस जंगली जानवरों से भरे जंगल में ये लोमड़ी बच कैसे गई? इसका अब तक शिकार कैसे नहीं हुआ?

जिज्ञासा में वह  एक पेड़ पर चढ़ गया और वहाँ बैठकर देखने लगा कि अब इस लोमड़ी के साथ आगे क्या होगा?

कुछ ही पल बीते थे कि पूरा जंगल शेर (Lion) की भयंकर दहाड़ से गूंज उठा. जिसे सुनकर सारे जानवर डरकर भागने लगे. लेकिन लोमड़ी अपनी टूटी टांग के साथ भाग नहीं सकती थी. वह वहीं खड़ी रही.

शेर लोमड़ी के पास आने लगा. आलसी आदमी ने सोचा कि अब शेर लोमड़ी को मारकर खा जायेगा. लेकिन आगे जो हुआ, वह कुछ अजीब था. शेर लोमड़ी के पास पहुँचकर खड़ा हो गया. उसके मुँह में मांस का एक टुकड़ा था, जिसे उसने लोमड़ी के सामने गिरा दिया. लोमड़ी इत्मिनान से मांस के उस टुकड़े को खाने लगी. थोड़ी देर बाद शेर वहाँ से चला गया.

यह घटना देख आलसी आदमी सोचने लगा कि भगवान सच में सर्वेसर्वा है. उसने धरती के समस्त प्राणियों के लिए, चाहे वह जानवर हो या इंसान, खाने-पीने का  प्रबंध कर रखा है. वह अपने घर लौट आया.

घर आकर वह २-३ दिन तक बिस्तर पर लेटकर प्रतीक्षा करने लगा कि जैसे भगवान ने शेर के द्वारा लोमड़ी के लिए भोजन भिजवाया था. वैसे ही उसके लिए भी कोई न कोई खाने-पीने का सामान ले आएगा.

लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. भूख से उसकी हालात ख़राब होने लगी. आख़िरकार उसे घर से बाहर निकलना ही पड़ा. घर के बाहर उसे एक पेड़ के नीचे बैठे हुए बाबा दिखाए पड़े. वह उनके पास गया और जंगल का सारा वृतांत सुनाते हुए वह बोला, “बाबा जी! भगवान मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनके पास जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध है. लेकिन इंसानों के लिए नहीं.”

बाबा जी ने उत्तर दिया, “बेटा! ऐसी बात नहीं है. भगवान के पास सारे प्रबंध है. दूसरों की तरह तुम्हारे लिए भी. लेकिन बात यह है कि वे तुम्हें लोमड़ी नहीं शेर बनाना चाहते हैं.”

सीख

हम सबके भीतर क्षमताओं का असीम भंडार है. बस अपनी अज्ञानतावश हम उन्हें पहचान नहीं पाते और स्वयं को कमतर समझकर दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा करते रहते हैं. स्वयं की क्षमता पहचानिए. दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा मत करिए. इतने सक्षम बनिए कि आप दूसरों की सहायता कर सकें.

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अपनी पहचान कैसे बनाएं




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एक प्रसिद्ध लेखक पत्रकार और राजनयिक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जो बेहद ही हंसमुख स्वभाव और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी है। उनकी पत्रकारिता देश ही नहीं अपितु विदेश में भी प्रसिद्ध है। उन्होंने वैसे जगह पर भी पत्रकारिता की है जहां अन्य पत्रकारों के लिए संभव नहीं है।उनकी हसमुख प्रवृत्ति और हाजिर जवाब का कोई सानी नहीं है। एक समय की बात है पुष्पेंद्र एक सभा को संबोधित कर रहे थे , सभा में जनसैलाब उमड़ा था , लोग उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से आए हुए थे।

जब वह अपना भाषण समाप्त कर बाहर निकले , तब उनकी ओर एक भीड़ ऑटोग्राफ के लिए बढ़ी। पुष्पेंद्र उनसे बातें करते हुए ऑटोग्राफ दे रहे थे। तभी एक नौजवान उस भीड़ से पुष्पेंद्र के सामने आया उस नौजवान ने उनसे कहा -” मैं आपका बहुत बड़ा श्रोता और प्रशंसक हूं , मैं साहित्य प्रेमी हूं , जिसके कारण मुझे आपकी लेखनी बेहद रुचिकर लगती है। इस कारण आप मेरे सबसे प्रिय लेखक भी हैं। मैंने आपकी सभी पुस्तकें पढ़ी है और आपके व्यक्तित्व को अपने जीवन में उतारना चाहता हूं। किंतु मैं ऐसा क्या करूं जिससे मैं एक अलग पहचान बना सकूं। आपकी तरह ख्याति पा सकूं।”

ऐसा कहते हुए उस नौजवान ने अपनी पुस्तिका ऑटोग्राफ के लिए पुष्पेंद्र की ओर बढ़ाई।

पुष्पेंद्र ने उस समय कुछ नहीं कहा और उसकी पुस्तिका में कुछ शब्द लिखें और ऑटोग्राफ देकर उस नौजवान को पुस्तिका वापस कर दी।

इस पुस्तिका में यह लिखा हुआ था –

” आप अपना समय स्वयं को पहचान दिलाने के लिए लगाएं ,

किसी दूसरे के ऑटोग्राफ से आपकी पहचान नहीं बनेगी।

जो समय आप दूसरे लोगों को लिए देते हैं

वह समय आप स्वयं के लिए दें। “

नौजवान इस जवाब को पढ़कर बेहद प्रसन्न हुआ और उसने पुष्पेंद्र को धन्यवाद कहा कि –

“मैं आपका यह वचन जीवन भर याद रखूंगा और अपनी एक अलग पहचान बना कर दिखाऊंगा। “

पुष्पेंद्र ने उस नौजवान को धन्यवाद दिया और सफलता के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं भी दी।

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बूढ़े आदमी की खुशी का राज




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किसी गाँव में एक बूढ़ा आदमी रहता था। वह दुनिया के सबसे दुर्भाग्यशाली लोगों में से एक थे। पूरा गाँव उससे परेशान था। वह हमेशा उदास रहता था, वह लगातार शिकायत करता था और हमेशा बुरे मूड में रहता था।

 

उम्र बढ़ने के साथ उसके शब्द ओर जहरीले होते जा रहे थे। लोग उससे बचते थे, क्योंकि उसकी शक्ल देखते ही खुद का मूड भी खराब हो जाता था।

 

लेकिन एक दिन, जब वह अस्सी साल का हो गया, तो एक अविश्वसनीय बात हुई। लोगो को ये सुनने में आया कि-

 

“बूढ़ा आदमी आज खुश है, वह किसी भी चीज के बारे में शिकायत नहीं कर रहा है, मुस्करा रहा है, और यहां तक कि उसका चेहरा भी चमक रहा है।”

 

पूरा गाँव इकट्ठा हो गया। सभी इस बदलाव के पीछे के कारण को जानने के इच्छुक थे

 

ग्रामीणों ने बूढ़े आदमी से पूछा,”बाबा आपको ये क्या हो गया। आपमें इतना बदलाव कैसे आया।”

 

बूढ़ा आदमी बोला, “कुछ खास नहीं। अस्सी साल तक मैं हर चीज़ को ठीक करने में लगा रहा, हर वक्त खुशी ढूंढने के पीछे भाग रहा था, लेकिन यह बेकार था। और फिर मैंने खुशी के बिना जीने का फैसला किया और वर्तमान जीवन का आनंद लेना शुरू किया हैं। इसीलिए मैं अब खुश हूँ।

 

कहानी की शिक्षा:

खुशी का पीछा मत करो। अपने वर्तमान जीवन का आनंद लो।

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मज़ेदार चुटकुले

😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳बीवी ने पेंटर से अपना पेन्टिग बनवाया

फिर कुछ सोच कर पेंटर को कहा की

गले में नवलखा हार भी बना दो

पेंटिंग बनने के बाद पेंटर ने पूछा आपने

ऐसा क्यों किया।।

बीवी बोली कभी मै मर गयी तो ये दूसरी

शादी कर लेंगे

नई वाली आएगी तो ये हार ढूंढेगी और

मिलेगा नहीं तो झगड़ा होगा

तब मेरी आत्मा को सच्चा सुकून मिलेगा .

इसे कहते है, जिंदगी के साथ भी

और जिंदगी के बाद भी

😂😂😂😂🤣🤣🤣🤣🤣

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देर ना हो जाए कहीं – जीवन के महत्व को समझाती हिन्दी कहानी




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एक राजा वन में शिकार पर निकला था। रास्ता भूल जाने के कारण और भूख प्यास से पीड़ित होकर जंगल में ही किसी वनवासी की झोपड़ी में शरण ली। वनवासी ने उसकी मेहमान नवाजी की और उसे भोजन दिया।

 

राजा ने जाते समय कहा, “हम तुम्हारे इस आतिथ्य से प्रसन्न हुए। हम इस राज्य के राजा हैं। तुम्हें पास के नगर का एक चंदन का बगीचा प्रदान करते हैं। इससे तुम्हारा जीवन का आराम से गुजारा जाएगा।”

 

वनवासी नगर के अधिकारी के पास गया और वह चंदन का बगीचा उसे प्राप्त हो गया। लेकिन वनवासी को चंदन का महत्व क्या है और इसका किस तरह से फायदा उठाया जा सकता हैं, इस बात का पता नहीं था।

 

इसलिए वनवासी चंदन के वृक्ष काटकर उनसे कोयला बनाकर पास के शहर में बेचने लगा। इस तरह से उसका गुजर-बसर चलने लगा।

 

धीरे धीरे चंदन के सभी वृक्ष खत्म हो लगे और आखिर में सिर्फ एक वृक्ष बचा। बारिश के कारण वह पेड़ गिला था। इस कारण वह कोयला नहीं बना पाया। तो उसने केवल लकड़ी को बेचने का निर्णय लिया।

जब वह लकड़ी का गट्ठा लेकर बाजार में पहुंचा तो चंदन की खुशबू के कारण बहुत सारे लोग उससे खरीदने आ गए। और बहुत भारी कीमत में वनवासी से वो चंदन की लकड़ियां खरीद ली।

इससे वनवासी हक्का-बक्का रह गया। उसने सब लोगों से इसका कारण पूछा तो लोगों ने बताया कि यह चंदन की लकड़ी है। अगर तुम्हारे पास ओर है, तो तुम अच्छा खासा पैसा कमा सकते हो और अमीर बन सकते हो।

 

अब वनवासी अपनी गलती पर पश्चाताप करने लगा कि उसने कीमती लकड़ी का कोयला बनाकर मामूली भाव में बेच दिया। जबकि वह चाहता तो इन सारी लकड़ियों से अपनी जिंदगी बदल सकता था।

 

शिक्षा:

अपना जीवन भी अनमोल है। इसे दो कौड़ी की वस्तुओं के पीछे या दो कौड़ी के लोगों के पीछे बर्बाद ना करें।

समय रहते इसके महत्व को समझें।

इसके हर पल को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करके अपने आप को बेहतर बनाएं। ऐसा जीवन जिये कि यह दूसरों के लिए मिसाल बन जाए और अपने घर परिवार वाले आपके ऊपर गर्व करे।

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प्रचंड मनोबल – हिंदी प्रेरणादायक कहानी

प्राचीन काल में एक राजा के पास एक हाथी था। उस हाथी पर चढ़कर उसने कई युद्ध में विजय हासिल की थी। यह हाथी जब छोटा था, तभी से उसे इस तरह से प्रशिक्षित किया गया था कि वह युद्ध कला में खूब प्रवीण हो गया।

युद्ध में सेना के आगे चलते हुए यह पर्वत सा हाथी जब गुस्से से चिंघाड़ता हुआ, दुश्मन सेना में घूमता था तो दुश्मनों के छक्के छूट जाते थे। इस तरह इस बलवान हाथी की कीर्ति चारों दिशाओं में फैली हुई थी।

धीरे-धीरे समय के साथ वृद्धावस्था की ओर बढ़ने लगा। उसकी चमड़ी ढीली हो गई। उसकी जवानी का जोश और पराक्रम जाता रहा।

अब उसे केवल हाथीशाला में ही रखा जाने लगा। उसका महत्व कम होने के कारण उसका पहले जैसा ध्यान नहीं रखा जाता था। उसे मिलने वाले खाने में भी कमी कर दी गई। कई बार तो बुड्ढे सेवक के ध्यान चूक जाने से उसे भूखा प्यासा रहना पड़ता था।

इन दिनों से ठीक से पानी नहीं मिलने के कारण और एक दिन बहुत प्यास लगने के कारण वह हाथीशाला से निकलकर एक पुराने तालाब के किनारे चला गया।

वहां उसने खूब छककर पानी पिया और नहाने के लिए गहरे पानी में उतर गया। लेकिन तलाब में ज्यादा कीचड़ होने के कारण वह वृद्ध हाथी उसमें फंस गया। वह जितना कीचड़ से निकलने का प्रयास करता, उतना वह अंदर धंसता जाता। ऐसा करते करते वह गर्दन तक कीचड़ में फंस गया।

वहां आसपास के लोगों ने उस हाथी को पहचान कर उसका समाचार राजा तक पहुंचाया। राजा ने तुरंत ही उसे निकालने का आदेश दे दिया लेकिन बहुत प्रयासों के बाद भी वह हाथी को नहीं निकलवा पाए। सभी उसे मौत के मुंह में जाते हुए देखने को विवश थे।

तभी एक मंत्री ने राजा को एक युक्ति सुजायी। राजा ने हाथी को निकालने वाले सभी लोगों को वापस बुलवा लिया।

अब सारे आदमियों को युद्ध सैनिकों की वेशभूषा पहनाई गई और वो सभी वाद्ययंत्र मंगवाए गए जो युद्ध के मौके पर काम लिए जाते थे।

हाथी के सामने युद्ध के नगाड़े बजने लगे और सैनिक इस तरह से उस हाथी की ओर बढ़ने लगे, जैसे वह दुश्मन पक्ष के हो।

यह दृश्य देखकर उस हाथी में गजब का जोश आ गया। उसने जोर से चिंघाड़ लगाई और दुश्मन पर हमला करने के लिए अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करते हुए कीचड़ को रौंदते हुए तालाब के किनारे पहुंच गया। और दुश्मनों पर हमला करने के लिए दौड़ने लगा। आखिरकार उसे नियंत्रित कर लिया गया। इस तरह वह हाथी अपने मनोबल के कारण अपनी जान बचा पाया।

शिक्षा(Moral):
जिसका मनोबल जाग जाए तो वह कमजोर और असहाय होते हुए भी असंभव से दिखने वाले कार्य कर दिखाते हैं। मनुष्य की सारी सफलताएं उसके मनोबल पर निर्भर करती हैं। अपने प्रचंड मनोबल के दम पर वह हर लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।

इसलिए हमें भी कभी अपना मनोबल कमजोर नहीं पड़ने देना चाहिए। हो सकता है कुछ असफलताएं मिले, लेकिन हमें दुगुने उत्साह के साथ वापस उठ खड़ा होना है और फिर से भरपूर प्रयास करना है। दोस्तों कामयाबी झक मार के आएगी अपने पास।

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कहानी एक कारीगर की – हिंदी प्रेरणादायक कहानी

शिक्षा: दोस्तो इस कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती है कि हमे अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए। बाकी जो नतीजे मिलेंगे वो अपने अच्छे के लिए ही होंगे।


भगवान की मदद की कहानी

किसी गांव में दो मित्र रोहन और संदीप रहते थे। रोहन बहुत ज्यादा धार्मिक धार्मिक प्रवृत्ति का था। और वो मानता था कि भगवान उसका हर काम कर देंगे। दूसरी ओर संदीप बहुत ज्यादा मेहनत करता था।

एक बार दोनों ने मिलकर कुछ जमीन खरीदी जिस पर दोनों ने मिलकर फसल उगाने की सोची।

अब संदीप तो दिनभर खेत में मेहनत करता लेकिन रोहन कुछ काम नहीं करता, वो केवल मंदिर में जाकर भगवान से अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करता।

इसी तरह समय बीतता गया और खेत की फसल पककर तैयार हो गई।

इसे दोनों ने बाजार में ले जाकर बेच दिया जिससे उनको अच्छा खासा पैसा मिला। घर आकर संदीप ने रोहन से कहा, “देखो दोस्त खेत में मैंने ज्यादा मेहनत की है इसलिए इस धन का ज्यादा हिस्सा मुझे मिलना चाहिए।”

संदीप की बात सुनकर रोहन बोला, “नहीं-नहीं इस धन का ज्यादा हिस्सा मुझे मिलना चाहिए। क्योंकि मैंने ही अच्छी फसल के लिए भगवान से प्रार्थना की थी। तभी हमको अच्छी फसल हुई है। मेरी प्रार्थना के बिना यह संभव नहीं होता।”

इसी बात को लेकर दोनों गांव के मुखिया के पास चले गए।

मुखिया ने उन दोनों की बात सुनकर कुछ सोचा और दोनों को एक एक बोरा चावल का दिया, जिनमें कंकड़ मिले हुए थे। और कहा कि तुम दोनों को इनमें से चावल और कंकड़ अलग-अलग करके लाना है। तभी मैं निर्णय करूंगा कि फसल के धन का ज्यादा हिस्सा किसको मिलना चाहिए।

दोनों दोस्त चावल की बोरी लेकर अपने अपने घर चले गए। संदीप ने तो रात भर जागकर चावल और कंकड़ को अलग कर दिया।
रोहन अपनी आदत के अनुसार चावल की बोरी को मंदिर में लेकर गया और भगवान से इसे साफ करने में मदद मांगी। भगवान से इसे साफ करने की प्रार्थना करके आराम से सो गया।

अगले दिन सुबह संदीप चावल और कंकड़ को अलग-अलग करके उसे मुखिया के पास लेकर चला गया।

रोहन भी बोरी को मंदिर से उठाकर वापस मुखिया के घर ले आया। रोहन को पूरा भरोसा था कि भगवान ने उसका काम कर दिया होगा।

अब मुखिया ने दोनों से पूछा कि बताओ तुमने कितने चावल साफ किए। इस पर संदीप ने तो जितने थे उतने बता दिए।

रोहन ने भी पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने बोरी खोली, लेकिन उसकी बोरी में वैसे के वैसे चावल में कंकर पत्थर मिले हुए थे। बिल्कुल साफ नहीं किये।

अब मुखिया सारी बात समझ चुका था कि रोहन बिल्कुल मेहनत नहीं करता है। इसीलिए अनाज के धन में भी कम हिस्सा मिलना चाहिए।

गांव के मुखिया ने रोहन को समझाया कि भगवान भी तभी तुम्हारी मदद करता है जब तुम कड़ी मेहनत करते हो। हर काम में तुम भगवान के भरोसे बैठे रहोगे और मेहनत नहीं करोगे तो इस दुनिया में पीछे रह जाओगे।

रोहन को मुखिया की बात समझ में आ चुकी थी वह भी संदीप के साथ साथ जमकर मेहनत करने लग गया।

Moral of the story:
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भगवान से प्रार्थना करना ठीक है लेकिन साथ ही साथ हमें कड़ी मेहनत भी करनी है। आपकी किस्मत तभी चमकेगी जब आप अपना सौ प्रतिशत देंगे।

वो कहते हैं ना कि-

खुदी को कर बुलंद इतना कि
खुदा बंदे से खुद पूछे,
बता तेरी रजा क्या है?

इसलिए अपने आप से ईमानदार बने और दबा कर मेहनत करें। आपको सफलता के शिखर पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता।

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